Friday, February 15, 2013

एहसास

शाम को ऑफीस के दोस्तों का अचानक पार्टी का प्लान बन गया| दोस्तों ने मुझसे पूछा "चलोगे??"| मैने कहा क्यू नही, आख़िर मेरा कौनसा कोई घर पर इंतज़ार कर रहा है|

ठीक दो दिन बाद

मैं सुबह से ही दर्द से कराह रहा था| टाँगों में तेज़ दर्द था, गले में इंफेक्शन और शरीर भूखार से तर बतर था| पारा 102 से उपर था|  हालाँकि मेड खाना देकर जा चुकी थी| मैं डॉक्टर से दवाई भी ले आया था| पर खाना और दवाई के इलावा भी मुझे कुछ चाहिए था जिसके बगैर मैं इतनी जल्दी ठीक नही हो सकता था| मोह, स्नेह| मुझे चाहिए था वो जो हर आधे घंटे में मुझसे मेरा हाल पूछे, जब मैं सोऊ तो स्नेह से मेरे सिर पर हाथ फेरे, जब मेरे खाने का मन ना हो तो ज़बरदस्ती अपने हाथ से मुझे खिलाए| लेकिन उस समय ऐसे कोई भी मेरे पास नही था| एक बार तो मन में आया के सब कुछ छोड़-छाड़ के चला जाऊं वापिस अपने गाँव|

पापा जब भी बीमार होते तो वो दर्द में कराहने के बजाय हर साँस में 'हे राम' कहते| और इससे उन्हे आराम भी मिलता| अब मेरे लिए तो मेरे माता-पिता ही भगवान हैं, तो मैं जब भी बीमार होता तो हर साँस में 'मम्मी' कहता| तो सुबह से ही मैं मम्मी-मम्मी बोल के कराह रहा था और शाम को मम्मी का फोन भी आ गया| हालाँकि अपनी बीमारी के बारे में मैं अपनी मम्मी को कुछ नहीं बताता| मुझे याद है जब छोटा था तो मुझे हल्की सर्दी जुकाम होने पर भी मम्मी को पूरी रात नींद नही आती थी| लेकिन जब फोन पर मम्मी ने कहा "आज सुबह से ही मुझे बिना सर्दी जुकाम के छींके आ रही है, लगता है कोई याद कर रहा है" तो मुझे उन्हे अपनी बीमारी के बारे में बताना ही पड़ा|
वो तो गनीमत रही कि अगले दिन ही मुझे आराम आ गया नही तो वो तो अपना समान बाँध चुकी थी यहाँ आने के लिए|
लेकिन इस बीमारी के बाद एहसास तो हो ही गया कि घर पर इंतज़ार करने वाला कोई तो होना ही चाहिए|

Friday, April 6, 2012

डॉक्टर, दुकानदार, रिक्शावाला .......

मेरी माँ को कुछ हृदय समस्या है. तो उन्हे नियमित जांच के लिए हर महीने डॉक्टर के पास जाना पड़ता है और हर बार डॉक्टर 500 रुपये सलाहकार फीस के रूप में लेता है और हर बार मेरे पिता कहते हैं, "यह डॉक्टर सिर्फ़ 2 मिनट चेक - अप के लिए,  500 रुपये लेता है और मुझे पूरा दिन दुकान पर मेहनत करनी पड़ती है फिर जा कर मैं 500 रुपये ब्ना पाता हू | चलो मैं पिता जी के सामने चुप ही रहता हू |


2-3 दिन पहले मैं अपने पिता की दुकान के बाहर अपने दोस्त के साथ बातचीत कर रहा था | तभी एक रिकक्ष्वाला मेरी दुकान से बाहर आया और बड़बड़ाया "यह दुकानदार सारा दिन कुर्सी पर बैठता है और 500 रुपये कमाता है और मैं पूरा दिन रिक्शा खींचता और 100 रुपये बनाता हू | "


अचानक एक भिखारी जो भोजन के लिए भीख माँग रहा था हमारे आगे से गुज़रा और मैं यह सोचने पर विवश हो गया की अब ये क्या कहेगा |


---- कपिल गर्ग ----

Monday, November 8, 2010

लघु प्रेम कथा : इंतज़ार


मन ही मन मैं खुद को कोस रहा था की क्यों मैंने इस बेकार सी कांफ्रेंस में भाग लेने का निर्णय लिया | कांफ्रेंस की अंतिम पंक्ति में बता में उन तमाम प्रवक्ताओ को सुन रहा था जो बड़े ही अजीब विषयों पर भाषण दिए जा हे थे और सब कुछ मेरे दिमाग के ऊपर से जा रहा था |

बीच बीच में मैं इधर-उधर देख कर अपनी बोरियत को दूर करने का असफल प्रयास कर रहा था |
अचानक मेरी नजर मेरे से आगे वाली पंक्ति में बेठी एक लड़की पर पड़ी| उसका चेहरा मुझ ठीक से दिखाई नही दे रहा था |

" अरे यार ! ये तो वही है ???" मैंने अपने आप से पूछा |
"नहीं यार उसके तो सुन्हेरी बाल थे !!!!"
"!!! यार बाल तो इसके भी सुन्हेरी है पर थोड़े छोटे है !!!"
"यार वो तो इस से थोड़ी मोटी भी थी ???"
" हो सकता है वजन कम कर लिया हो !"
थोडा आगे होकर मैंने उसकी आवाज़ सुनने की कोशिस की |
"यार आवाज़ तो थोड़ी भारी लग रही है ??"
"शायद......!!!! गला ख़राब होगा हाँ "
"लग तो वो ही रही है ???"
मैं इसी कशमकश में था की उसने पीछे मुड कर देखा | दो सेकेण्ड के लिए में बिलकुल अवाक रह गया | वो वही थी | उसने मुझे पहचान लिया और बड़ी प्यारी सी मुस्कान के साथ मुझे "हेल्लो" कहा |मेरे दिल में एक अजीब सी हलचल पैदा हुई | मैंने भी मुस्कराकर उसका जवाब दिया |


अपनी ग्रेजुएशन के तीन वर्ष में उसे अपने दिल की बात नहीं कह पाया था | वह कक्षा की सबसे होशिआर और सबसे खुबसूरत लड़की थी और मैं ..... एक मध्यम दर्जे का छात्र | इस लिए शायद कभी हिम्मत हीनहीं जुटा पाया |

अगले आधे घंटे तक मैं यही सोचता रहा की अभी उस से क्या बात करूँगा |
जैसे ही कांफ्रेंस ख़तम हुई उसने इशारे से मुझे बाहर मिलने को कहा |
" सो क्या हाल है ? " उसने मुझसे पुछा .
"बस बढ़िया "
" सो क्या कर रहे हो आज कल ?" उसने कहा
"मैं पोस्ट-ग्रेजुएशन ......युनिवेर्सिटी में ।"
अक्सर अकेले में सोचता था कि बस एक बार मिल जाए वो ..उसे मैं ये कहूँगा , वो कहूँगा , उसे दिल कि बात कह ही दूंगा | परन्तु आज .... जब वो मेरे सामने थी, मेरे मुख से एक भी शब्द नही निकल रहा था |
" तो अकेले आये हो ? " उसने पूछा
"हाँ.... तेरे जैसी कोई मिली ही नहीं !"
हालाँकि यह बात में उसे नही कहना चाहता था परन्तु पता नही क्यों दिल के जज़्बात बाहर आ गये, लेकिन वो ..... उसने सिर्फ मुस्कराकर बात को ताल दिया | शायद वो इसके पीछे की भावनाओ को नही समझ पाई|

अभी हमने दो मिनट ही बात की थी की उसकी सहेली की चलने के लिए आवाज़ आई | "अभी आ रही हूँ " उसने अपनी सहेली को कहा |
वो जा रही थी , मैं उसे रोकना चाहता था, थोड़ी देर और बाते करना चाहता था, थोड़ी देर और उसे निहारना चाहता था, उसका फ़ोन नंबर या पता मांगना चाहता था ताकि भविष्य में संपर्क कर सकू , परन्तु एक बार फिर मेरी हिम्मत मुझे जवाब दे गयी और वो चली गयी | मैं उसे तब तक जाते हुए निहारता रहा जब तक वो आँखों से ओझल न हो गयी |

इसी उम्मीद में की जिंदगी में उससे ऐसी ही मुलाकात एक और हो जाए और मैं अपने दिल की बात उसे कह सकू , मैं एक बार फिर अनिश्चित समय के लिए उसका इंतज़ार करने लगा |

----कपिल गर्ग --

Sunday, September 26, 2010

A TRIP TO इश्वरलोक

" बेटा ध्यान से जाना " जैसे ही ट्रेन चली मम्मी ने हाथ हिलाते हुए कहा
खिड़की से मैंने भी मम्मी को bye कहा और थोड़ी ही देर में ट्रेन ने अपनी रफ़्तार पकड़ ली छुट्टी के दिन थे तो मैं अपनी दीदी से मिलने दिल्ली जा रहा था

अगले स्टेशन पर ट्रेन रुकी तो एक बाबा मेरी सामने वाली सीट पर बैठे उनके लम्बे सफेद बाल , लम्बी सफेद दाढ़ी , माथे पर तिलक लगा हुआ था, शरीर पर उन्होंने सिर्फ एक धोती और जनेऊ पहना हुआ था, सामान के नाम पर उनके पास सिर्फ एक पोटली और हाथ में रामायण पकड़ी हुई थी यानी के पुरे साधू-संतों वाली वेशभूषा

मैं काफी बातूनी और जिज्ञासु किस्म का इंसान हु तो सोच रहा था के उंनसे बातचीत कैसे शुरू करू
तो चुप्पी तोड़ते हुए मैंने कहा " बाबा मन में एक प्रशान घूम रहा है , आज्ञा हो तो पूछ सकता हु ? "
" O sure...anytime !!! " बाबा ने मुस्कुराते हुए कहा
उनके मुख से अंग्रेजी सुन कर थोड़ा अचंभित जरुर हुआ पर यह सोच कर के शायद वो थोडा पढ़े-लिखे हो मैंने अपना प्रशन पूछा " बाबा एक तो आप कहते हो के भगवान् हर जगह है फिर आप भगवान् की पूजा करने मंदिर ही क्यों जाते हो ?
"हा हा हा " बाबा पहले तो थोड़ा हसे फिर थोड़ा सोच कर उन्होंने कहा " इस प्रशन का जवाब मैं एक प्रशन के रूप में ही देना चाहूँगा "
" जैसी आपकी इच्छा " मैंने कहा
" Air is everywhere so why you use fan to feel it ???" बाबा ने पूछा
इस प्रशन ने मुझे काफी असमंजस की स्थिति में दाल दिया
" बाबा मैं आज तक समझ नहीं पाया कि भगवान् सच में है भी कि नहीं I'm not sure about the existence of God इसलिए मैंने आपसे वो प्रशन पूछा था " मैंने कहा
" बेटा भगवान् को तो मैं भी नहीं मानता I'm an atheist (नास्तिक ) " बाबा ने जवाब दिया
"तो फिर यह वेशभूषा, यह रामायण, यह सब क्यों ??" मैंने उत्सुकतावश पूछा
" There's a reason behind all this " उन्होंने कहा
" क्या reason है
sir " पता नहीं मैं क्यों उन्हें बाबा कि जगह sir कहने लगा

थोड़ा सोचने के बाद बाबा ने कहा " पहले मैं बताता हु कि हम मंदिर क्यों जाते हैं suppose मैं आपको एक अच्छी सी story सुनाता हु जिसका बहुत ही अच्छा moral है यानी कि उससे बहुत अच्छी शिक्षा मिलती है, पर वो story तो आप हफ्ता-दस दिन में भूल जायोगे "
मैंने हाँ में सिर हिलाया
" लेकिन अगर मैं कुछ ऐसा करू जिससे वो story आपको time to time याद आती रहे ?? तो वैसे ही रामायण, महाभारत काफी अच्छी stories है जिससे कि काफी अच्छी शिक्षा मिलती है जैसे कि धर्म के लिए लड़ना , सत्य कि असत्य पर जीत , गीता का ज्ञान आदि तो यह स्टोरी लोगों को याद कराने के लिए रामायण, महाभारत के characters (राम , लक्ष्मन , ) जगह-जगह स्थापित किये गये जिनको देख कर हमे वो story याद जाये और story में छुपी शिक्षा को हम भूलें और उन बातों को अपने जीवन में implement कर के अच्छे इंसान बने " बाबा ने कहा

बाबा कि बातें सुनने में तो काफी impressive लगी पूछने पर पता चला कि वो pune university में physics के professor हैं

उत्सुकतावश मैंने एक और प्रशन पूछा " अच्छा sir मंदिर तो ठीक है लेकिन हम ये हवन वगेरा क्यों करते हैं उसमे तो इन मूर्तियों का कोई लेना देना नहीं "

क्रमश
: (to be continue... )
- कपिल गर्ग

Tuesday, September 14, 2010

आरक्षण....आखिर कब तक ???

आज सुबह newspaper की headline "आरक्षण की आग में झुलसा हिसार " हरियाणा में जाट समुदाय द्वारा आरक्षण के लिए आन्दोलन आज हिंसक रूप धारण कर गया जिसमें तीन दर्जन लोग घायल हो गये , दर्जनों गढ़ियाँ फूक दी गयी , दो police थानों को आग लगा दी गयी जिससे बाद में प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया

मुझे याद है छोटी classes में civics subject में हमे पढ़ाया जाता था की " भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है , यहाँ पर धर्म और जाती के आधार पर कोई भेध्भाव नहीं किया जाता । "
पर
मैं तो कहता हु की सबसे ज्यादा भेदभाव ही भारत में होता है

1950 में जब भारत का संविधान लिखा गया था तो सिर्फ 10 साल के लिए पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण रखा गया था ताकि 10 साल में ये जातियां ऊपर उठ जायेंगी उसके बाद सरकार आरक्षण ख़तम कर देगी लेकिन आज आजादी को 63 साल हो गये परन्तु आरक्षण ख़तम होने की बजाए बढ़ ही रहा है
हालात
यहाँ तक पहुँच चुके हैं के SC/ST/OBC categories को इतनी सुविधायें दे दी गयी हैं के अब ऊँची जाती के लोग भी कह रहे हैं के हमे reserve category में गिना जाए । 2008 में राज्यस्थान में हुआ गुज्जर आन्दोलन और अभी हरियाणा में हुआ जाटों का आन्दोलन इस बात का गवाह है

अब
बात आती है आरक्षण कहाँ पर ???आप कहीं भी जाइए हर जगह आरक्षण आपको दिख जाएगा , फिर वह चाहे किसी college/university में admission के लिए हो या सरकारी नौकरी के लिए अब तो सदन में भी आरक्षण लागू हो गया है भारत के प्रमुख संस्थान IIT/IIM , AIIMS में भी 33% आरक्षण है बैंक में नौकरी के लिए form लेने जाओ तो - general - Rs. 500 . और SC/ST - FREE OF COST.

दो
दोस्त स्कूल में इकठे पढ़े , बढे हुए । एक के 85% , एक के 55% परन्तु 55% वाले की admission हो जाती है और 85% की नहीं क्युकी 55% वाले के पास एक ST का certificate था उसके दादा-पड़दादा शायद tribal areas (पिछड़े इलाके) में रहते थे . तब का बना certificate आज तक काम रहा है . अब आप ही बताओ किसकी admission होनी चाहिए थी

मैं
तो कहता हु कि किसी भी तरह का आरक्षण नहीं होना चाहिए यहाँ तक कि defence quota भी नहीं होना चाहिए । Chandigarh/Haryana high court जज से मैंने पूछा कि defence quota क्यों ? तो उन्होंने कहा " Border पर कोई अपनी जान इसीलिए देने जाएगा अगर सरकार उसके परिवार को कोई सहूलियत दे । "

यार defence वालों के लिए अलग से स्कूल होते हैं (military school) , उनके hospitals अलग से होते हैं , canteens अलग होती हैं वहां पर civilians (आम नागरिक) allowed नहीं होते तो उनके लिए अलग से university भी खोल दो लेकिन state और center universities या IIT/IIM में quota तो मत रखो

आरक्षण
कि वजह से कितने ही deserving candidates admission , job से वंचित रह जाते हैं . यहाँ तक कि IIT/IIM , AIIMS के directors का भी यही कहना है कि इससे संस्थान कि शिक्षा का स्तर भी लगातार गिर रहा है भेध्भाव अलग से बढ़ रहा है

अब
आई समस्या के समाधान कि बात तो अगर सरकार 1950 से जागरूक होती तो आज यह समस्या इतना गंभीर रूप धारण कर पाती 1950 में आरक्षण के आधार पर पिछड़ी जाति के लोगों को reputed job दे दी गयी अब जब reputed job मिल गयी , अच्छी salary है , अब तो वह निचली जाति के नहीं रहे तब job के साथ ही उनका qyota ख़तम कर देना चाहिए था लेकिन सरकार ने vote bank के लिए qyota ख़तम नहीं किया जिससे उनके बेटे , पोते , यहाँ तक कि पड़-पोते भी उसी SC certificate का फायदा उठा रहे हैं यहाँ तक कि जो आज लखपति/करोड़पती बन चुके हैं वो भी आरक्षण का फायदा उठा रहे हैं


अब जिस व्यक्ति को आरक्षण के आधार पर university में admission मिल गयी , अब तो वह university का student हो गया , उसका स्तर ऊँचा उठ गया क्युकी यहाँ पर सभी को समान शिक्षा मिलेगी तो admission के साथ ही उसका quota ख़तम कर दो परन्तु नहीं study के बाद नौकरी के लिए भी वही SC/ST का certificate ही देखा जायेगा

हमारे
संविधान के मुताबिक आम नागरिक को 7 मौलिक अधिकार दिए गये हैं जिसमें तीसरा अधिकार समानता का अधिकार है मतलब अगर कोई धर्म या जाति के आधार पर कोई भेध्भाव करता है तो हम सीधा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं लेकिन अगर संविधान बनाने वाले ही संविधान कि उल्लंघना करें तो हम किसका दरवाजा खटखत्तायें ।


तो अंत में यही कहूँगा की अगर सरकार को आरक्षण ख़तम करना है तो लोगों को job या उच्च संस्थानमें admission के साथ ही उसका qyota ख़तम करके उसे general qyota में ड़ाल दिया जाए धीरे-धीरे 15-20 वर्षों में आरक्षण अपने आप ही ख़तम हो जाएगा लेकिन अगर सरकार ने vote बैंक कीखातिर आरक्षण ख़तम नहीं किया तो हरियाणा में जाटों की तरह और वर्ग भी कहीं आन्दोलन शुरू करदें

अगर आरक्षण की यही समस्या रही तो सोच रहा हु आने वाले समय में exam का questioपेपर ऐसा हो
Total 15 questions
GEN - All questions are compulsory
SC - do any 10
ST - do any 5
OBC - just sign on your answer sheet.

- कपिल गर्ग

Monday, August 16, 2010

रामायण vs predator

रविवार का दिन , सुबह ठीक 9 बजे मेरे दादी जी मेरे कमरे में आये
" काकू जल्दी टीवी on कर रामायण का समय हो गया । "
आँखें मलते हुए मैंने टीवी on किया और दादी जी का favorite serial रामायण शुरूदादी जी ने ज़मीन पर चटाई बिछाई (पता नहीं क्यों वह रामायण हमेशा चटाई पर बैठ कर ही देखते हैं । ) और उन्होंने हाथ जोड़ कर टीवी के साथ गायन शुरू कर दिया " श्री गुरु चरण सरोज रज , निजमन .......... ।

रामायण देखते हुए मैंने महसूस किया कि रामायण और आज कल कि sci-fi movies में ज्यादा फर्क नहीं हैअगर रामायण के पात्रों क़ी पौशाक और सवांद बदल दिए जाएँ तो यह भी english sci-fi movies Predator , war of the worlds , star wars कि श्रेणी में ही आएगी

हालाँकि मैं एक पूरी तरह से नास्तिक इंसान हुनास्तिक का यह मतलब नहीं कि मैं भगवान् के खिलाफ बोलता हु , मुझे बस ये लगता है कि भगवान् जैसी कोई चीज़ ही नहीं हैफिर भी मैंने रामायण , महाभारत पुरे देखे हैं और कुछ हद तक पढ़े भी हैंलेकिन मैं अभी तक ये n समझ पाया कि उस समय ऐसा क्या था जो आज नहीं है जिस से आप इतना प्रभावित हो गये और इन कहानियों के पात्रों को भगवान् समझने लगे

रावण सीता का अपहरण करके उसे अपने पुष्पक विमान में लेकर गया तो आज भी तो airplanes , helicopters हैं

जब द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था तो क्या पता द्रौपदी के कान में bluetooth fit हो जिससे उसने कृषण को phone कर दिया और कृषण उसी समय अपने private jet में सवार होकर गया हो

महाभारत में कौरवों के पिता ध्रितराष्ट्र अंधे थेश्री कृषण ने उनके सेवक संजय को दिव्य दृष्टि दी थी ताकि वह महाभारत का युद्ध महल में ही देख कर उसका हाल ध्रितराष्ट्र को सुना सके
तो आज भी हम टीवी पर live प्रोग्राम देखते ही हैं । England , Australia में क्रिकेट मैच चल रहा होता है और हम घर बैठे उसका सीधा प्रसारण देखते हैं

उस समय श्री कृषण के पास ब्रहम अस्त्र था जिससे वह पूरी सृष्टि का विनाश कर सकते थे तो आज Obama के पास Nuclear power है

उस समय कर्ण के पास सुरक्षा कवच था तो आज भी high resistance life jackets होती हैं

उस समय दैवीय शक्ति कहते थे , आज technology कहते हैं

हम कहते हैं कि उस समय ऋषि मुनि दूर पहाड़ो जगलों में तप करते थे जिससे उन्हें दैवीय शक्ति ( वरदान ) मिलती थी
तो हो सकता है कि उन्होंने पहाड़ो जंगलो में अपनी labs बनाई हों जिसमें वो experiments करते थे और जैसे ही कोई नई discovery होती वो उसे वरदान कहने लगते

जब सीता का स्वयंवर हो रहा था तो क्या पता वो धनुष electromagnet से जोड़ा गया हो और उसका password सिर्फ श्री राम के पास हो या उन्होंने password hack किया हो

बल्कि आज technology ज्यादा विकसित हैउस समय तो यह शक्तियां सिर्फ राजा महाराजाओं के पास होती थी , आज mobile , TV , Internet , aeroplanes हर एक के पास हैं

लेकिन कुछ तो बात होगी के आप उन कहानियों के पात्रों में जिससे आप इतना प्रभावित हो गये और उन्हें इश्वर कहने लगेजवाब आप निचे दे सकते हैं ......... ।

- कपिल गर्ग

Thursday, August 12, 2010

देश चलाने के लिए न्यूनतम आयु - 75 वर्ष

post - member of parliament

qualification - 0

minimum age required - 75 years

कल शाम को घर आकर जब मैंने टीवी on किया तो news flash हो रही थी " भारत के रक्षा मंत्री ऐ. के. एंटोनी एक सभा के दौरान बेहोश"।
उसके बाद मैंने भारतीय नेताओं के बारे में थोडा शोध किया तो निम्न आंकड़े सामने आये ।
--भारत में 80% नेता 70 साल से ऊपर हैं और उन में से 50% नेता 80 साल से ऊपर हैं ।
--प्रधानमन्त्री -मनमोहन सिंह -75+ (दो बार byepass surgery हो चुकी है )
--राष्ट्रपति - प्रतिभा पाटिल - 80+
--गृह मंत्री - पी . चिदंबरम - 75+
--वित्त मंत्री - प्रणब मुखर्जी - 75+
--कृषि मंत्री शरद पवार - 75+ (लकवे का शिकार)
--पंजाब का मुख्यमंत्री - प्रकाश सिंह बदल - 80+(दोनों घुटनों का transplant हो चका है )
ऊपर लिखित सभी नेताओं के 32 के 32 दांत बदले जा चुके हैं ।
सूचि काफी लम्बी है सभी के नाम नहीं लिख सकता ।

हमारे देश में 60 वर्ष की आयु में व्यक्ति को रिटायर कर दिया जाता है क्योंकी इस आयु में दिम्माग की क्षमता काफी कम हो जाती है । दुसरे लफ्जों में कहू तो आदमी सठिया जात है । सठिया शब्द का अर्थ ही है - 60 से ऊपर । तो मैं ये सोच के हैरान हु के अपना देश चल कैसे रहा है ??

देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पहले रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर रहे , फिर देश के वित्तमंत्री और अब 75+ में देश के प्रधानमन्त्री । यार उनकी दो बार bypass surgery हो चुकी है तो उन्हें क्या ज़रूरत है देश चलाने की। उनको तो इस उम्र में घर पर A C चला के सोना चाहिए । देश में इतने नौजवान पढ़े लिखे युवा लोग हैं कोई क्यों नहीं संभालता देश की बागडोर ।

अब आप ही सोचो बैंक में एक clerk की नौकरी पाने के लिए पहले qualification criteria पास करना पड़ता है , फिर national level पर enterance test और फिर interview . उसके बाद एक clerk की नौकरी मिलती है । लेकिन यहाँ देश चलाने के लिए ना कोई qualification criteria न कोई test ।

मैं तो कहता हु के देश के ये बूढ़े नेता आज की युवा पीढ़ी को ही नहीं समझ सकते । आज technology अपने चरम पर है । mobile , internet , robotics , nanotechnology , automobile पिछले 10-20 वर्षो से पुरे बदल चुके हैं ।
एक छोटी सी उदाहरण देता हु आप मेंसे 50 % के माता - पिता mobile पे SMS type करके send भी नि कर सकते । तो अगर वो आज की technology नि समझ सकते तो युवा पीढ़ी की needs को कैसे समझेंगे जो धिन भर इस technology से घिरी रहती है ।

तो मैं आपसे यही कहूँगा के आप एक नौजवान , पढ़े लिखे को vote दें । अगर कोई भी candidate नौजवान , पढ़ा लिखा नहीं है तो आप खुद खड़े हो जाएँ । यह लोकतंत्र है और हर एक को election में खड़े होने का हक है और ऐसे ही देश का सुधार हो सकता है।


अंत में यही सोच रहा हु के क्या ये 80 साल के बूढ़े बदलेंगे देश का भविष्य जिनके खुद के भविष्य का पता नहीं ??? जवाब आप दीजिये !!!!!!!

- कपिल गर्ग