Sunday, September 26, 2010

A TRIP TO इश्वरलोक

" बेटा ध्यान से जाना " जैसे ही ट्रेन चली मम्मी ने हाथ हिलाते हुए कहा
खिड़की से मैंने भी मम्मी को bye कहा और थोड़ी ही देर में ट्रेन ने अपनी रफ़्तार पकड़ ली छुट्टी के दिन थे तो मैं अपनी दीदी से मिलने दिल्ली जा रहा था

अगले स्टेशन पर ट्रेन रुकी तो एक बाबा मेरी सामने वाली सीट पर बैठे उनके लम्बे सफेद बाल , लम्बी सफेद दाढ़ी , माथे पर तिलक लगा हुआ था, शरीर पर उन्होंने सिर्फ एक धोती और जनेऊ पहना हुआ था, सामान के नाम पर उनके पास सिर्फ एक पोटली और हाथ में रामायण पकड़ी हुई थी यानी के पुरे साधू-संतों वाली वेशभूषा

मैं काफी बातूनी और जिज्ञासु किस्म का इंसान हु तो सोच रहा था के उंनसे बातचीत कैसे शुरू करू
तो चुप्पी तोड़ते हुए मैंने कहा " बाबा मन में एक प्रशान घूम रहा है , आज्ञा हो तो पूछ सकता हु ? "
" O sure...anytime !!! " बाबा ने मुस्कुराते हुए कहा
उनके मुख से अंग्रेजी सुन कर थोड़ा अचंभित जरुर हुआ पर यह सोच कर के शायद वो थोडा पढ़े-लिखे हो मैंने अपना प्रशन पूछा " बाबा एक तो आप कहते हो के भगवान् हर जगह है फिर आप भगवान् की पूजा करने मंदिर ही क्यों जाते हो ?
"हा हा हा " बाबा पहले तो थोड़ा हसे फिर थोड़ा सोच कर उन्होंने कहा " इस प्रशन का जवाब मैं एक प्रशन के रूप में ही देना चाहूँगा "
" जैसी आपकी इच्छा " मैंने कहा
" Air is everywhere so why you use fan to feel it ???" बाबा ने पूछा
इस प्रशन ने मुझे काफी असमंजस की स्थिति में दाल दिया
" बाबा मैं आज तक समझ नहीं पाया कि भगवान् सच में है भी कि नहीं I'm not sure about the existence of God इसलिए मैंने आपसे वो प्रशन पूछा था " मैंने कहा
" बेटा भगवान् को तो मैं भी नहीं मानता I'm an atheist (नास्तिक ) " बाबा ने जवाब दिया
"तो फिर यह वेशभूषा, यह रामायण, यह सब क्यों ??" मैंने उत्सुकतावश पूछा
" There's a reason behind all this " उन्होंने कहा
" क्या reason है
sir " पता नहीं मैं क्यों उन्हें बाबा कि जगह sir कहने लगा

थोड़ा सोचने के बाद बाबा ने कहा " पहले मैं बताता हु कि हम मंदिर क्यों जाते हैं suppose मैं आपको एक अच्छी सी story सुनाता हु जिसका बहुत ही अच्छा moral है यानी कि उससे बहुत अच्छी शिक्षा मिलती है, पर वो story तो आप हफ्ता-दस दिन में भूल जायोगे "
मैंने हाँ में सिर हिलाया
" लेकिन अगर मैं कुछ ऐसा करू जिससे वो story आपको time to time याद आती रहे ?? तो वैसे ही रामायण, महाभारत काफी अच्छी stories है जिससे कि काफी अच्छी शिक्षा मिलती है जैसे कि धर्म के लिए लड़ना , सत्य कि असत्य पर जीत , गीता का ज्ञान आदि तो यह स्टोरी लोगों को याद कराने के लिए रामायण, महाभारत के characters (राम , लक्ष्मन , ) जगह-जगह स्थापित किये गये जिनको देख कर हमे वो story याद जाये और story में छुपी शिक्षा को हम भूलें और उन बातों को अपने जीवन में implement कर के अच्छे इंसान बने " बाबा ने कहा

बाबा कि बातें सुनने में तो काफी impressive लगी पूछने पर पता चला कि वो pune university में physics के professor हैं

उत्सुकतावश मैंने एक और प्रशन पूछा " अच्छा sir मंदिर तो ठीक है लेकिन हम ये हवन वगेरा क्यों करते हैं उसमे तो इन मूर्तियों का कोई लेना देना नहीं "

क्रमश
: (to be continue... )
- कपिल गर्ग

Tuesday, September 14, 2010

आरक्षण....आखिर कब तक ???

आज सुबह newspaper की headline "आरक्षण की आग में झुलसा हिसार " हरियाणा में जाट समुदाय द्वारा आरक्षण के लिए आन्दोलन आज हिंसक रूप धारण कर गया जिसमें तीन दर्जन लोग घायल हो गये , दर्जनों गढ़ियाँ फूक दी गयी , दो police थानों को आग लगा दी गयी जिससे बाद में प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया

मुझे याद है छोटी classes में civics subject में हमे पढ़ाया जाता था की " भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है , यहाँ पर धर्म और जाती के आधार पर कोई भेध्भाव नहीं किया जाता । "
पर
मैं तो कहता हु की सबसे ज्यादा भेदभाव ही भारत में होता है

1950 में जब भारत का संविधान लिखा गया था तो सिर्फ 10 साल के लिए पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण रखा गया था ताकि 10 साल में ये जातियां ऊपर उठ जायेंगी उसके बाद सरकार आरक्षण ख़तम कर देगी लेकिन आज आजादी को 63 साल हो गये परन्तु आरक्षण ख़तम होने की बजाए बढ़ ही रहा है
हालात
यहाँ तक पहुँच चुके हैं के SC/ST/OBC categories को इतनी सुविधायें दे दी गयी हैं के अब ऊँची जाती के लोग भी कह रहे हैं के हमे reserve category में गिना जाए । 2008 में राज्यस्थान में हुआ गुज्जर आन्दोलन और अभी हरियाणा में हुआ जाटों का आन्दोलन इस बात का गवाह है

अब
बात आती है आरक्षण कहाँ पर ???आप कहीं भी जाइए हर जगह आरक्षण आपको दिख जाएगा , फिर वह चाहे किसी college/university में admission के लिए हो या सरकारी नौकरी के लिए अब तो सदन में भी आरक्षण लागू हो गया है भारत के प्रमुख संस्थान IIT/IIM , AIIMS में भी 33% आरक्षण है बैंक में नौकरी के लिए form लेने जाओ तो - general - Rs. 500 . और SC/ST - FREE OF COST.

दो
दोस्त स्कूल में इकठे पढ़े , बढे हुए । एक के 85% , एक के 55% परन्तु 55% वाले की admission हो जाती है और 85% की नहीं क्युकी 55% वाले के पास एक ST का certificate था उसके दादा-पड़दादा शायद tribal areas (पिछड़े इलाके) में रहते थे . तब का बना certificate आज तक काम रहा है . अब आप ही बताओ किसकी admission होनी चाहिए थी

मैं
तो कहता हु कि किसी भी तरह का आरक्षण नहीं होना चाहिए यहाँ तक कि defence quota भी नहीं होना चाहिए । Chandigarh/Haryana high court जज से मैंने पूछा कि defence quota क्यों ? तो उन्होंने कहा " Border पर कोई अपनी जान इसीलिए देने जाएगा अगर सरकार उसके परिवार को कोई सहूलियत दे । "

यार defence वालों के लिए अलग से स्कूल होते हैं (military school) , उनके hospitals अलग से होते हैं , canteens अलग होती हैं वहां पर civilians (आम नागरिक) allowed नहीं होते तो उनके लिए अलग से university भी खोल दो लेकिन state और center universities या IIT/IIM में quota तो मत रखो

आरक्षण
कि वजह से कितने ही deserving candidates admission , job से वंचित रह जाते हैं . यहाँ तक कि IIT/IIM , AIIMS के directors का भी यही कहना है कि इससे संस्थान कि शिक्षा का स्तर भी लगातार गिर रहा है भेध्भाव अलग से बढ़ रहा है

अब
आई समस्या के समाधान कि बात तो अगर सरकार 1950 से जागरूक होती तो आज यह समस्या इतना गंभीर रूप धारण कर पाती 1950 में आरक्षण के आधार पर पिछड़ी जाति के लोगों को reputed job दे दी गयी अब जब reputed job मिल गयी , अच्छी salary है , अब तो वह निचली जाति के नहीं रहे तब job के साथ ही उनका qyota ख़तम कर देना चाहिए था लेकिन सरकार ने vote bank के लिए qyota ख़तम नहीं किया जिससे उनके बेटे , पोते , यहाँ तक कि पड़-पोते भी उसी SC certificate का फायदा उठा रहे हैं यहाँ तक कि जो आज लखपति/करोड़पती बन चुके हैं वो भी आरक्षण का फायदा उठा रहे हैं


अब जिस व्यक्ति को आरक्षण के आधार पर university में admission मिल गयी , अब तो वह university का student हो गया , उसका स्तर ऊँचा उठ गया क्युकी यहाँ पर सभी को समान शिक्षा मिलेगी तो admission के साथ ही उसका quota ख़तम कर दो परन्तु नहीं study के बाद नौकरी के लिए भी वही SC/ST का certificate ही देखा जायेगा

हमारे
संविधान के मुताबिक आम नागरिक को 7 मौलिक अधिकार दिए गये हैं जिसमें तीसरा अधिकार समानता का अधिकार है मतलब अगर कोई धर्म या जाति के आधार पर कोई भेध्भाव करता है तो हम सीधा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं लेकिन अगर संविधान बनाने वाले ही संविधान कि उल्लंघना करें तो हम किसका दरवाजा खटखत्तायें ।


तो अंत में यही कहूँगा की अगर सरकार को आरक्षण ख़तम करना है तो लोगों को job या उच्च संस्थानमें admission के साथ ही उसका qyota ख़तम करके उसे general qyota में ड़ाल दिया जाए धीरे-धीरे 15-20 वर्षों में आरक्षण अपने आप ही ख़तम हो जाएगा लेकिन अगर सरकार ने vote बैंक कीखातिर आरक्षण ख़तम नहीं किया तो हरियाणा में जाटों की तरह और वर्ग भी कहीं आन्दोलन शुरू करदें

अगर आरक्षण की यही समस्या रही तो सोच रहा हु आने वाले समय में exam का questioपेपर ऐसा हो
Total 15 questions
GEN - All questions are compulsory
SC - do any 10
ST - do any 5
OBC - just sign on your answer sheet.

- कपिल गर्ग