Tuesday, September 14, 2010

आरक्षण....आखिर कब तक ???

आज सुबह newspaper की headline "आरक्षण की आग में झुलसा हिसार " हरियाणा में जाट समुदाय द्वारा आरक्षण के लिए आन्दोलन आज हिंसक रूप धारण कर गया जिसमें तीन दर्जन लोग घायल हो गये , दर्जनों गढ़ियाँ फूक दी गयी , दो police थानों को आग लगा दी गयी जिससे बाद में प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया

मुझे याद है छोटी classes में civics subject में हमे पढ़ाया जाता था की " भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है , यहाँ पर धर्म और जाती के आधार पर कोई भेध्भाव नहीं किया जाता । "
पर
मैं तो कहता हु की सबसे ज्यादा भेदभाव ही भारत में होता है

1950 में जब भारत का संविधान लिखा गया था तो सिर्फ 10 साल के लिए पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण रखा गया था ताकि 10 साल में ये जातियां ऊपर उठ जायेंगी उसके बाद सरकार आरक्षण ख़तम कर देगी लेकिन आज आजादी को 63 साल हो गये परन्तु आरक्षण ख़तम होने की बजाए बढ़ ही रहा है
हालात
यहाँ तक पहुँच चुके हैं के SC/ST/OBC categories को इतनी सुविधायें दे दी गयी हैं के अब ऊँची जाती के लोग भी कह रहे हैं के हमे reserve category में गिना जाए । 2008 में राज्यस्थान में हुआ गुज्जर आन्दोलन और अभी हरियाणा में हुआ जाटों का आन्दोलन इस बात का गवाह है

अब
बात आती है आरक्षण कहाँ पर ???आप कहीं भी जाइए हर जगह आरक्षण आपको दिख जाएगा , फिर वह चाहे किसी college/university में admission के लिए हो या सरकारी नौकरी के लिए अब तो सदन में भी आरक्षण लागू हो गया है भारत के प्रमुख संस्थान IIT/IIM , AIIMS में भी 33% आरक्षण है बैंक में नौकरी के लिए form लेने जाओ तो - general - Rs. 500 . और SC/ST - FREE OF COST.

दो
दोस्त स्कूल में इकठे पढ़े , बढे हुए । एक के 85% , एक के 55% परन्तु 55% वाले की admission हो जाती है और 85% की नहीं क्युकी 55% वाले के पास एक ST का certificate था उसके दादा-पड़दादा शायद tribal areas (पिछड़े इलाके) में रहते थे . तब का बना certificate आज तक काम रहा है . अब आप ही बताओ किसकी admission होनी चाहिए थी

मैं
तो कहता हु कि किसी भी तरह का आरक्षण नहीं होना चाहिए यहाँ तक कि defence quota भी नहीं होना चाहिए । Chandigarh/Haryana high court जज से मैंने पूछा कि defence quota क्यों ? तो उन्होंने कहा " Border पर कोई अपनी जान इसीलिए देने जाएगा अगर सरकार उसके परिवार को कोई सहूलियत दे । "

यार defence वालों के लिए अलग से स्कूल होते हैं (military school) , उनके hospitals अलग से होते हैं , canteens अलग होती हैं वहां पर civilians (आम नागरिक) allowed नहीं होते तो उनके लिए अलग से university भी खोल दो लेकिन state और center universities या IIT/IIM में quota तो मत रखो

आरक्षण
कि वजह से कितने ही deserving candidates admission , job से वंचित रह जाते हैं . यहाँ तक कि IIT/IIM , AIIMS के directors का भी यही कहना है कि इससे संस्थान कि शिक्षा का स्तर भी लगातार गिर रहा है भेध्भाव अलग से बढ़ रहा है

अब
आई समस्या के समाधान कि बात तो अगर सरकार 1950 से जागरूक होती तो आज यह समस्या इतना गंभीर रूप धारण कर पाती 1950 में आरक्षण के आधार पर पिछड़ी जाति के लोगों को reputed job दे दी गयी अब जब reputed job मिल गयी , अच्छी salary है , अब तो वह निचली जाति के नहीं रहे तब job के साथ ही उनका qyota ख़तम कर देना चाहिए था लेकिन सरकार ने vote bank के लिए qyota ख़तम नहीं किया जिससे उनके बेटे , पोते , यहाँ तक कि पड़-पोते भी उसी SC certificate का फायदा उठा रहे हैं यहाँ तक कि जो आज लखपति/करोड़पती बन चुके हैं वो भी आरक्षण का फायदा उठा रहे हैं


अब जिस व्यक्ति को आरक्षण के आधार पर university में admission मिल गयी , अब तो वह university का student हो गया , उसका स्तर ऊँचा उठ गया क्युकी यहाँ पर सभी को समान शिक्षा मिलेगी तो admission के साथ ही उसका quota ख़तम कर दो परन्तु नहीं study के बाद नौकरी के लिए भी वही SC/ST का certificate ही देखा जायेगा

हमारे
संविधान के मुताबिक आम नागरिक को 7 मौलिक अधिकार दिए गये हैं जिसमें तीसरा अधिकार समानता का अधिकार है मतलब अगर कोई धर्म या जाति के आधार पर कोई भेध्भाव करता है तो हम सीधा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं लेकिन अगर संविधान बनाने वाले ही संविधान कि उल्लंघना करें तो हम किसका दरवाजा खटखत्तायें ।


तो अंत में यही कहूँगा की अगर सरकार को आरक्षण ख़तम करना है तो लोगों को job या उच्च संस्थानमें admission के साथ ही उसका qyota ख़तम करके उसे general qyota में ड़ाल दिया जाए धीरे-धीरे 15-20 वर्षों में आरक्षण अपने आप ही ख़तम हो जाएगा लेकिन अगर सरकार ने vote बैंक कीखातिर आरक्षण ख़तम नहीं किया तो हरियाणा में जाटों की तरह और वर्ग भी कहीं आन्दोलन शुरू करदें

अगर आरक्षण की यही समस्या रही तो सोच रहा हु आने वाले समय में exam का questioपेपर ऐसा हो
Total 15 questions
GEN - All questions are compulsory
SC - do any 10
ST - do any 5
OBC - just sign on your answer sheet.

- कपिल गर्ग

11 comments:

  1. very well kapil!!!!!
    a gud research work
    don't worry if it is lke this then let it be ...
    jahaan 63 yrs nikaal liye hai vahin ye aane vale kuch saal bhi nikal jaayenge.......
    so no worries....jst enjoyyyyyyyy

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  2. आदरणीय श्री कपिल गर्ग जी,

    मैं यह लिखने के लिये आपने विवश किया हूँ कि आप जैसे लोगों के कारण आज देश धू-धू कर जल रहा है। पूर्वजों ने जो कूटनैतिक गलतियाँ या भूलें की, उस समय क्या हालात रहे होंगे, इसका कोई असानी से आकलन नहीं कर सकता, लेकिन मैं समझता हूँ कि आपकी ऐसी कोई मजबूरी नहीं होनी चाहिये कि आप आरक्षण की समस्या पर लेख लिखें और समस्या की आत्मा को बाहर निकाल का फैंक दें और आम भोले-भाले लोगों को असत्य बातों के बहाने, भडकाने का प्रयास करें।

    भारतीय जनता पार्टी, आर एस एस या विश्व हिन्दू परिषद की भाषा बोलने से कोई देशभक्त नहीं बन जाता है। देशभक्त बनने के लिये देश के प्रति निष्ठा की जरूरत होती है और देश का मतलब सिर्फ हिमालय या गंगा-जमुना या भाजपा नहीं, बल्कि देश का मतलब सवा सौ करोड लोग हैं।

    आप जानते हैं कि आप जिन लोगों के हाथों खेल रहे हैं, उनके इरादे नेक नहीं हैं। सत्य को जितना दबाओगे, वह उतना ही बाहर आयेगा। सत्य को छुपाने का दोष भी, उन पर नहीं आप पर लगेगा।

    मैं कुछ ऐतिहासिक एवं वर्तमान दशा को दर्शाने वाले तथ्य आपकी जानकारी के लिये प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा है कि आप इन पर विचार करेंगे।

    -१९४७ तक भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के ८० प्रतिशत से अधिक पदों पर मुसलमान, कायस्थ और राजपूत कौमों के लोग पदस्थ थे। जिनमें क्रमश: करीब ३५ प्रतिशत पदों पर मुसलमान, ३० प्रतिशत पदों पर कायस्थ और १५ प्रतिशत पदों पर राजपूत पदस्थ हुआ करते थे। आज इन तीनों कौमों के कुल मिलाकर ०५ प्रतिशत लोग भी भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में नहीं हैं। क्यों?

    -मेरे पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार २००४-०५ तक भारतीय प्रशासनिक सेवा के कुल ३६०० पद थे। जिनमें से-

    -२२.५ प्रतिशत (८१०) पद अजा एवं अजजा के लिये आरक्षित होते हुए भी, अजा एवं अजजा के मात्र २१३ (५.९१ प्रतिशत) लोग ही चयनित किये गये थे। इन दोनों वर्गों की आबादी, देश की कुल आबादी का २५ प्रतिशत मानी जाती है।

    -२७ प्रतिशत (९७२) पद अन्य पिछडा वर्ग के लिये आरक्षित होते हुए भी, अन्य पिछडा वर्ग के मात्र १८६ (५.१७ प्रतिशत) लोग ही चयनित किये गये थे। जिनकी आबादी देश की कुल आबादी का ४५ प्रतिशत मानी जाती है।

    -बिना किसी आरक्षण के भारतीय प्रशासनिक सेवा के कुल ३६०० पदों में से २४०० पदों पर केवल ब्राह्मण जाति के लोग चयनित किये गये थे। जिनकी आबादी देश की कुल आबादी का ३.५ प्रतिशत मानी जाती है। जिसके अनुसार इनका अधिकार केवल १२६ पदों पर बनता है।

    -बिना किसी आरक्षण के भारतीय प्रशासनिक सेवा के कुल ३६०० पदों में से ७०० पदों पर केवल वैश्य जाति के लोग चयनित किये गये थे। जिनकी आबादी देश की कुल आबादी का ७ प्रतिशत मानी जाती है। जिसके अनुसार इनका अधिकार केवल २५२ पदों पर बनता है।

    नोट : आप समझ गये होंगे कि जाति के आधार पर जनगणना नहीं करवाने के पीछे कौन हैं और उनके इरादे क्या हैं?

    -गोधरा काण्ड की प्रतिक्रिया में गुजरात के हुए या कराये गये कत्लेआम (जिन्हें दंगे कहा जाता है) में मरने वाले हिन्दुओ में ९९ प्रतिशत से अधिक गैर-ब्राह्मण और गैर-वैश्य थे। जिन हिन्दुओं पर मुकदमें चल रहे हैं या चल चुके हैं उनमें भी अधिकतर गैर-ब्राह्मण और गैर-वैश्य ही थे।

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  3. Indeed a very serious problem, created and propagated by the selfish politicians.
    http://khandoi.blogspot.com/2010/07/blog-post_19.html

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  4. good kapil....great work..keep it up..!!
    i liked the reasearch work you did..facts and figures you collected are damn good..
    this focus on the true condition of india...
    whatever we read in our civics books, it does not matter..the true condition is something different...
    ---kavita sharma.

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  5. Thank you Rincy, Dr. Purushottam, Ganga Dhar Sharma,Dev Sufi Sir, Surinder Singh Bhamboo, Kavita Sharma for reading my blog. Thanx who appreciated me and also to those who criticized me.

    Purushottam sir I'll check out my stats ,I'm sorry if there any mistake. I'm just finding solution of this problem of Cast ism. A lot of people are agree with the solution I provided.

    you can also mention any solution if you have for this problem. I'll definitely think about that.
    And I'm just saying that remove qyota of that person after giving him job or admission in good institute. If you are not agree with my opinion share your opinion below

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  6. I think all will agree with your opinion. If cast-ism continues in India then India will lose all the deserving candidates and that will burst the pillars of Indian future

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  7. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  8. What a Comment on a Democratic Country.
    Keep It up, sir
    I really liked it.
    Its my pleasure to read such an articles

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  9. Please write something on the culture also

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  10. That is true.. jo log pichhde hain wo aaj tak pichhde hi hain aur iska kaaran hai ki chahe kitna hi quota kyu na laga lia jaye, kuchh gine-chune log hi uska faida uthate hain.. hamesha. Isiliye wo log samriddha hain aur jinke naam pr reservation quota jaari hota hai, wo wahin ke wahin.
    Isi tarah brahman aur Vaishya log jinke faide ki baatein yahan ki ja rahi hain, har jagah waisa nahi ho raha. Reservation kisi bhi baat ka solution nahi hai. Ye sirf aapasi dwesh ko badhata hai. Mera dost agar sirf 45% lakr kisi achhi university me admission pa jata hai magar theek se pass bhi nahi ho pata, to kya ye sambhav hai ki mere mann me uske liye koi mail na rahe?
    Reservation logon ko jati-dharm se upar uhkar kabhi sochne nahi dega aur logon ko hamesha apang hi banayega. (Agar 45% me admission milti hai to 60% ke liye koshish kyu?)

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